एक राष्ट्र की समृद्धि का आधार उसकी युवा पीढ़ी होती है, जो अपनी जड़ों और परंपराओं को आत्मसात करते हुए भविष्य का निर्माण करती है। जब युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति का सम्मान करती है और ईमानदारी व जिम्मेदारी के साथ नेतृत्व करती है, तब राष्ट्र विकास के नए आयाम छूता है। परंपराओं का आदर और आधुनिक दृष्टिकोण के समन्वय से युवा शक्ति न केवल समाज में सकारात्मक बदलाव लाती है, बल्कि देश को वैश्विक मंच पर एक मजबूत पहचान भी दिलाती है। यही वह ऊर्जा है जो अतीत की सीख और वर्तमान की चुनौतियों के बीच एक मजबूत सेतु का निर्माण करती है।
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